Wednesday, January 26, 2011

तुम्हे सोचता हूँ .....तो तुम


तुम्हे सोचता हूँ .....तो तुम
इक पहेली सी ....लगती हो
अंजान अजनबी  सी.. कभी
कभी सहेली सी ..लगती हो
इतराती हो ..कभी इठलाती
निश्छल.... बचपन की तरह
कभी मासूम सी दुल्हन कोई
नई नवेली सी.... लगती हो
तुम्हे सोचता हूँ.....

कभी किताब सा ..पढता हूँ
बंद आँखों से पूरी रात तुम्हे
कभी ये जिद की में ले जाऊं
बहला के अपने... साथ तुम्हे
कभी सवाल में.... मिलती हो
कभी किसी.... जवाब में तुम
न जाने कौन सी... कहनी थी
अनकही सी.. कोई बात तुम्हे
तुम भीड़ में तो  हो दोस्तों के
फिर भी अकेली सी लगती हो
तुम्हे सोचता हूँ....... तो तुम
इक पहेली सी ......लगती हो...

एक उलझन हैं तेरी जुल्फ सी
सुलझ जाये तो ....अच्छा हैं
इक फांस चुभी हैं.... सीने में
निकल  जाये तो... अच्छा हैं
कमनसीबी मेरा सबब ही  हैं
तेरा मुसलसल ... कसूर नहीं
कुछ अरमान  बर्फ के मानिंद
पिघल जाए तो .....अच्छा हैं
दूर तक बिखरा हूँ मिटटी सा
तुम सुर्ख हवेली सी लगती हो
तुम्हे सोचता हूँ...... तो तुम
इक पहेली सी .....लगती हो....



तुम सा कोई तो ..क्या होगा
खुश हूँ  मेरी..... पनाह में हो
मेरी हर रस्मो रिवायत में हो
मेरे हर हसीं  .....गुनाह में हो
ताजिंदगी यूहीं..... मेरी रहना
यूं भी लम्बा सफ़र नहीं अबतो
खुशियाँ कम ही रही मेरे हरसूं
उम्र जब कमतरी की राह  में हों
फिर भी मुहर्रम के शोग्वारों  में
तुम दिवाली सी ..... लगती हो
तुम्हे सोचता हूँ .........तो तुम
इक पहेली सी .......लगती हो
 

चलो तुम मेरा  यकीं कर लो
तो  में तुम्हे.. आस्मा कर लूं
चलो तुम समां जाओ मुझमे
तो में तुम्हे ....आइना कर लूं
अब नहीं वक़्त ये अदावत का
यूं ही झगड़े किया नहीं करते
चलो हाथ .....थाम कर मेरा
तो  तुम्हे ...हमसफ़र कर लूं
यूंभी कर्कश हैं साज़ जीवन का
तुम .....सुरीली सी लगती हो
तुम्हे सोचता हूँ ......तो तुम
इक पहेली .....सी लगती हो

9 comments:

  1. आदरणीय ब्लागमित्र को मेरी और से गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ

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  2. हरीश जी बहुत ही गहरे एहसास है कविता में.... सुंदर प्रस्तुति.
    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें और बधाई

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  3. इस भावमय रचना के लिये बधाई बहुत अच्छी लगी। आपको गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें |

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  4. bahut hi bhawpurn rachna hai sir ji ek ek sabd bhawon se bhara hai socha koi pankti chunu jo sabse adhik bhai par iska to sabd sabd dil mein utar gaya.

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  5. गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ... जय हिंद

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  6. कोमल भावों से सजी ..
    ..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
    आप बहुत अच्छा लिखतें हैं...वाकई.... आशा हैं आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा....!!

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  7. फुर्सत मिले तो 'आदत.. मुस्कुराने की' पर आकर नयी पोस्ट ज़रूर पढ़े .........धन्यवाद |

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  8. हरीश जी
    बहुत अच्छी रचना हैं
    पढ़ कर बहुत अच्छा लगा
    मन को छू गई आपकी रचना
    बधाई और शुक्रिया भी

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  9. बहुत गहरी ...दिल की अभिव्यक्ति
    बहुत अच्छा और दिल को छु लेने वाला
    लेखन .....

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