Wednesday, April 6, 2011

माँ शक्ति स्वरूपा..


नव रात्र की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ समर्पित

माँ शक्ति स्वरूपा.. अष्ट भुजा
भैरव संग में... हनुमान ध्वजा
हों कष्ट निवारित जन जन के
नवरात्र फलित.. नव भोर सदा

शैल पुत्री तुम ..ब्रह्मचारिणी
गौरी तुम चन्द्रघंट कात्यायनी
स्कंदमात भी .तुम ही हो माँ
कूष्मांडा काली. सिद्धिदायनी
हैं दिव्य रूप... पावन मईय्या
जयकारा लगे ..जब जोर सदा
हों कष्ट निवारित जन जन के
नवरात्र फलित.नव भोर सदा

तुम शत्रु मर्दनी... जग पालक
मैं दीन.......सरीखा हूँ बालक
तम आच्छादित मन पर मेरे
दुष्कृत्यों का...... हूँ संचालक
अब यत्न करो ...हे दया निधे
ज्योतिर्मय हो ..हर छोर सदा
हों कष्ट निवारित जन जन के
नवरात्र फलित. नव भोर सदा

तुम कल्याणी जग जननी तुम
तुम रोद्र्रूप.. दुःख हरनी तुम
मैं क्रोध मोह का .....सागर हूँ
इस भवसागर की ..तरनी तुम
तुम थामे रहो....पतवार मेरी
ये विनती हैं.... कर जोर सदा
हों कष्ट निवारित जन जन के
नवरात्र फलित..नव भोर सदा

तुमने किस किस को उबारा हैं
कितनों को उस पार, उतारा हैं
माँ लाज मेरी भी ..रख लेना
माया का खेल .. जग सारा हैं
तुमसे ही नेह की....गांठ बधि
तुमसे जीवन की.... डोर सदा
हों कष्ट निवारित जन जन के
नवरात्र फलित. नव भोर सदा



3 comments:

  1. बहुत खूब

    आपको एवं आपके परिवार को नवरात्रि पर्व तथा नवसंवत्सर 2068)की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ।

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  2. बहुत ही अच्छी रचना हरीश जी बस यही कह सकती हूँ Hats off to you. आपके और आपके स्वजनों को भी नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएं
    माता आपकी हर मनोकामना पूर्ण करे |

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