Sunday, December 10, 2017

तरही गजल

अजीब बात हैं तुझमें, जो अलहदा ही लगे !
कसक के बात ये करना, तेरी अदा ही लगे !!

मिरे सवाल भी खामोश, हो चले हैं कहीं !
की हर जवाब पे तू और भी, जुदा ही लगे !!

यही दुआ हैं मुहब्बत में..... आरजू ये हैं !
गुदाज़ बाँहों में चेहरा खिला खिला ही लगे !!

ये कहके उसने भी दामन, छुड़ा लिया मुझसे !
तुम्हारा साथ मुझे अब तो बदमजा ही लगे !!

बढे दिनों से मिरे दिल में... झांकता हैं वो !
वो शख्श कौन हैं मुझको तो वो नया ही लगे !!

कई दिनों से नदारद हैं सुर्खियाँ दिल की !
चलो बहार में ढूंढें....... जरा पता ही लगे !!

अजीब शख्श हैं रोते हुए भी.... हसता हैं !
मैं चाहता हूँ ख़फ़ा हो तो वो, ख़फ़ा ही लगे !!

हरीश भट्ट

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