Sunday, December 10, 2017

कृष्ण जन्म

भादो की वो अष्टमी थी,
.......मथुरा भी सहमी थी ।
..............जमना उफ़ान पे थी,
.................कोई आने वाला था ।।
अर्ध रात्रि गई बीत ,
.......प्रहरी थे भय भीत ।
..........कोई रोक नही पाया,
..............खुला जब ताला था ।।
बरखा धमक रही,
....बिजुरी चमक रही ।
.......देवकी के लाल का तो
.................देव रखवाला था ।।
सूप धर सर पर,
....वासुदेव चले घर ।
........शेष जी दुलार रहे,
.............ऐसा भोला भाला था।।

माखन दधि पला था,
...यशोदा का लाड़ला था ।
..........मन का था उजला वो,
..............तन का वो काला था ।।

ब्रज का दुलारा था वो,
...अखियों का तारा था वो ।
.............मोहिनी सी छवि पर,
.................देखने में ग्वाला था ।।

राधारानी का वो श्याम,
....मीरा का भी घनश्याम ।
............माखन चुराने वाला,
….............गोकुल का लाला था ।।

चित चोर था वो माना,
....कृष्ण कहो चाहे कान्हां।
............ज़ाया देवकी का पर
..................यशोदा ने पाला था ।।

हरीश भट्ट

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